Wheel Defects In Indian Railway In Hindi: भारतीय रेल में जो व्हील(Tyre) उपयोग किये जाते हैं उसके प्रोफाइल को WWP-Worm Wheel Profile कहा जाता है.भारतीय रेल में Worm Wheel Profile का उपयोग सन 1986 से किया जाता है.उसके पहले जिस rail wheel profile का उपयोग किया जाता था उसको IRS-Indian Railway Standerd प्रोफाइल कहा जाता था.
किसी दुसरे यांत्रिक पुर्जे की तरह रेल व्हील भी समय के साथ ख़राब होते हैं.कुछ ऐसे दोष हैं जो समय के साथ रेल के चक्कों में उत्पन हो जाते हैं ऐसे में उन दोष उक्त रेल चक्कों को बदलना पड़ता है वरना ऐसे चक्के हादसों के कारण बन सकते हैं.अधिकतर खराबी rail wheel profile में आती है.तो आज मै आप को Wheel Defects In Indian Railway In Hindi की जानकारी दूंगा.
Wheel Diameter Railway
Types of wheel defects In Indian Railway In Hindi
दुनिया में बनी हर चीज ख़राब होती है या उसमे समय के साथ दोष आ जाता है, ठीक इसी प्रकार रेल के पहिये भी ख़राब होते हैं, समय के साथ रेल के पहियों में भी दोष उत्त्पन हो जाता है.रेल गाडी के चक्के में उत्त्पन होने वाले दोष या खराबी को Wheel Defect कहा जाता है.
Wheel defect in indian railways
- Thin Flange
- Deep Flange
- Sharp Flange
- Root Radious Low
- Hollow Tyre
- Flat Place On Tyre
- Thin Tyre
Deep wheel flange
Deep Flange: जब व्हील फ्लेंज की ऊंचाई 28.5 mm से बढ़ कर 35 mm या उस से अधिक हो जाये तो उसको डीप फ्लेंज कहते हैं.
Thin wheel flange
Thin Flange: जब wheel flange की मोटाई जो की नये में 28.5 mm होती है घिस कर 16 mm या उससे कम हो जाये तो उसे थिन फ्लेंज कहते हैं.थिन फ्लेंज होने के कारण ट्रेन पॉइंट और क्रासिंग पर टू रूट हो सकती है.टू रूट का मतलब होता है की आधी ट्रेन एक लाइन में जाएगी जब की पीछे के कुछ डिब्बे अलग होकर क्रासिंग के द्वारा दुसरे लाइन में चले जायेंगें.
Sharp wheel flange
Sharp Flange: जब किसी चक्के के Flange के उपर की गोलाई 14 mm से घिस कर 5 mm हो जाती है तो उस को शार्प फ्लेंज कहते हैं.शार्प फ्लेंज के कारण भी ट्रेन पॉइंट और क्रासिंग पर टू रूट हो सकती है.
Root Radious Low Wheel Defects
Wheel Flange और व्हील ट्रेड के बिच के गोलाई का रेडियस जब घिस कर 13 mm या उससे कम हो जाता है तो उस दोष को रूट रेडियस लो कहा जाता है.रूट रेडियस लो होने के कारण चक्का पटरी से उतर सकता है और ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हो सकती है.
Hollow Tyre Wheel Defects
व्हील के पुरे गोलाई पर जब 5 mm या उससे अधिक गहरा गड्ढा बन जाता है तो उसे होलो टायर कहते हैं.ऐसे चक्के को फ़ौरन बदल देना चाहिए.
Flat Place On Tyre
चक्के के गोलाई में किसी एक हिस्से पर चपटा गड्ढा बन जाता है तो उसको फ्लैट प्लेस या फ्लैट पैसेज कहा जाता है.पैसेंजर ट्रेन में 50 mm और माल गाड़ी में 60 mm या उससे से अधिक लम्बे चपटे गड्ढे को फ्लैट पैसेज माना जाता है.
Thin Tyre Wheel Defects
जब किसी चक्के के टायर की मोटाई एक निर्धारित सीमा से कम हो जाती है तो ऐसे चक्के को थिन टायर कहा जाता है.जिन चक्कों में इस तरह के दोष पाए जाते हैं उन्हें निकाल दिया जाता है और उनके जगह अच्छे व्हील को लगा दिया जाता है.
ये वो Wheel Defect हैं जिन्हें rail wheel profile में पाया जाता है.अगर इनमे से कोई एक खराबी भी चक्के में नज़र आती है तो उस चक्के को फ़ौरन बदल दिया जाता है.ऐसे चक्के जिनमे इस तरह के दोष हो उन्हें ट्रेन में उपयोग करने से ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हो सकती है.तो मुझे उम्मीद है की आप समझ गए होंगें Wheel Defects In Indian Railway In Hindi में.अगर आप के मन में Wheel Defect से जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेन्ट कर के पूछ सकते हैं.
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